भारत के महापंजीयक व जनगणना आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड राज्य में 43.36% लोगों की मातृ भाषा हिंदी है. जबकि इसके बाद सबसे अधिक 23.02 % लोगों की मातृ भाषा गढ़वाली है। तीसरे स्थान पर 19.94 % लोगों की मातृ भाषा कुमाऊंनी है। भाषा-मातृ भाषा की यह स्थिति जनगणना-2011 के आंकड़ों के ताजा विश्लेषण के बाद स्पष्ट हुई। इन आंकड़ों को भारत के महापंजीयक व जनगणना आयुक्त कार्यालय ने जारी किया। उत्तराखंड जनगणना 2011 आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में 99 बोलियां व भाषा बोली जाती हैं।
उत्तराखंड में बोली जाने वाली प्रमुख बोली :
इनमें प्रमुख बोली-भाषा हिंदी, गढ़वाली, कुमाऊंनी के अलावा उर्दू, पंजाबी, जौनसारी, नेपाली व भोजपुरी हैं। शेष बोली-भाषा वाले मातृ भाषी लोगों की संख्या महज कुछ हजार व सैकड़ों में ही है।
बोली-भाषा
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संख्या
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हिंदी
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43,73,951
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गढ़वाली
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23,22,406
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कुमाऊंनी
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20,11,286
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उर्दू
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4,25,752
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पंजाबी
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2,63,310
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बंगाली
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1,50,933
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जौनसारी
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1,35,698
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नेपाली
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1,06,399
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भोजपुरी
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95,330
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मैथिली
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54,553
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थारू
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48286
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तिब्बतन
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10,162
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भोटिया
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9,287
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हिंदी के अलावा इससे मिलती-जुलती या मिश्रित बोली की संख्या उत्तराखंड में 44 है। इनमें जनगणना आयुक्त कार्यालय में गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी बोली को भी शामिल किया है। जनगणना के अनुसार प्रदेश में वैदिक भाषा संस्कृत को मातृ भाषा में स्वीकार करने वाले लोगों की संख्या महज 386 है। इनमें 282 पुरुष हैं और 104 महिलाएं शामिल हैं।
Source Jagran
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