उत्तराखंड में बोली जाने वाली भाषाएँ और बोलियाँ
उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा हिंदी है। वर्ष 2010 में संस्कृत को उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया । संस्कृत को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा देने वाला उत्तराखंड एक मात्र राज्य है।
उत्तराखंड की क्षेत्रीय बोलियों में गढ़वाली , कुमाउँनी और जौनसारी प्रमुख है :
गढ़वाल क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली :
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली को गढ़वाली कहते हैं हैं। इन बोलियों में श्रीनगरी, सलाणी, नागपुरिया, गंगपरिया, राठी , दसौल्य, और माँझ कुमइयाँ प्रमुख है।➢ बधानी बोली : यह बोली पिंडर क्षेत्र तथा अलकनंदा नदी के मध्य में विस्तृत क्षेत्रों में बोली जाती है।
➢ श्रीनगरी बोली: श्रीनगरी बोली उत्तराखंड में पौड़ी जनपद के देवल के निकतम क्षेत्रों में बोली जाती है।
➢ माँझ कुमइयाँ बोली : इस बोली में कुमाऊँ के बहुत शब्द प्रचलित हैं।
➢ सलाणी बोली : सलान क्षेत्र के अंतर्गत यह बोली सलाणी कहलाती है।
➢ नागपुरिया बोली : नागपुर पट्टी चमोली जनपद के अंतर्गत आती है। इन क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोली को नागपुरिया कहा जाता है।
➢ गंगपरिया बोली : गंगपारिया बोली उत्तराखंड में टिहरी जिले के क्षेत्रों में बोली जाती है।
➢ लोहब्या बोली : यह बोली चमोली जिले के खंसर व गैरसैण के क्षेत्रों में बोली जाती है।
➢ राठी बोली : कुमाऊँ मंडल के निकटतम सीमा से सटे हुए क्षेत्रों में राठी बोली का प्रभाव है ।
➢ दसौल्य : नागपुर पट्टी के अंतर्गत दसोली क्षेत्र में यह बोली दसौल्य कहलाती है।
कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली :
उत्तराखंड के कुमांऊ क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली को कुमाउँनी कहते हैं हैं। इन बोलियों में अस्कोटी , कुमयां , गंगोली आदि प्रमुख है।
➢ अस्कोटी : कुमांऊ मंडल के अस्कोट क्षेत्र में अस्कोटी बोली का प्रभाव है। अस्कोटी बोली पर नेपाली भाषा का प्रभाव है।
➢ सीराली: यह बोली में कुमाऊं के सीराली क्षेत्र में बोली जाती है।
➢ सौर्याली: पिथौरागढ़ जनपद के सोर परगने की बोली सोर्याली है।
➢ कुमय्याँ: काली कुमाऊँ क्षेत्र के अंतर्गत बोली जाने वाली बोली को उत्तर में पनार और सरयू, पूर्व में काली, पश्चिम में देविधुरा तथा दक्षिण में टनकपुर तक इस बोली का प्रभाव है।
➢ गंगोली: गंगोलीहाट के अंतर्गत बोली जाने वाली इस बोली को पश्चिम में दानपुर, दक्षिण में सरयू, उत्तर में रामगंगा व पूर्व में सोर तक इस बोली का प्रभाव है।
➢ दनपुरिया: अल्मोड़ा जनपद के दानपुर परगने की यह बोली दनपुरिया कहलाती है।
➢ चौगर्ख्रिया: काली कुमाऊँ के पश्चिम के उत्तर पश्चिम से लेकर पश्चिम के बारमंडल परगने तक इस बोली को बोला जाता है।
➢ खासपार्जिया: अल्मोड़ा के बारमंडल परगने के अंतर्गत बोली जाती है।
➢ पछाई: अल्मोड़ा जनपद के पालि क्षेत्र के अंतर्गत यह बोली फल्द्कोट, रानीखेत, द्वारहाट, मासी तथा चौखुटिया तक प्रभावित है।
➢ रौ-चौभेंसी: उत्तर पूर्वी नैनीताल जनपद के रौ और चौभेंसी क्षेत्र में इस बोली को बोला जाता है।
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