उत्तराखण्ड के राजवंश कुणिन्द राजवंश
उत्तराखण्ड इतिहास कुणिन्द राजवंश
• उत्तराखण्ड में बौद्ध धर्म का प्रचार खश राजाओं के समय हुआ।
• अल्मोड़ा में स्थित जाखन देवी मन्दिर यक्षों से संबंधित है।
• कुणिन्द राजवंश की प्रारम्भिक राजधानी कालकूट थी।
• इन्होंने अपनी राजधानी को बेहट (सहारनपुर) स्थानांतरित किया। कुणिन्द राजवंश के समय इस क्षेत्र को ब्रह्मपुर कहा जाता था।
• कालसी अभिलेख से पता चलता है कि कुणिन्द मौर्यों के अधीन थे।
• कुणिन्द वंश का सबसे शक्तिशाली शासक अणोघभूति था।
• अमोघभूति की मृत्यु के पश्चात कुणिन्दों के कुछ क्षेत्र पर शक राजओं ने अधिकार कर लिया।
• शक राजाओं के पश्चात यहाँ कुषाण वंस ने शासन किया।
• कुणिन्द राजाओं ने कर्तृपुर राज्य की स्तापना की जिसमें उत्तराखण्ड,हिमाचल प्रदेश,रोहेलखण्ड का उत्तरी भाग था। इसका वर्णन समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रस्सती अभिलेख में मिलता है।
• पांचवी सदी में कर्तृपुर पर नागों का साम्राज्य रहा।
• छठी शताब्दी में मौखरि वंश का साम्राज्य रहा।
• मौखरि वंश के अन्तिम राजा गृहवर्मा थे।
• गृहवर्मा की मृत्यु के पश्चात इस क्षेत्र पर हर्षवर्धन ने अधिकार कर लिया।इसके समय चीनी यात्री ह्वेसांग उत्तराखण्ड आया था।
उत्तराखण्ड के राजवंश कुणिन्द राजवंश Reviewed by uksssc on 17:58:00 Rating:
Bahut shi......👍
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