Uttarakhand GK | Folk dance of Uttarakhand Download PDF

Uttarakhand GK ( Folk dance of Uttarakhand )Download PDF


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उत्तराखण्ड के लोक गीत

गीत और संगीत उत्तराखण्ड संस्कृति का अनादिकाल से महत्तवपूर्ण अंग रहा है। हर मौकों पर गीत गाए जाते हैं। यहाँ तक कि जब पर्वतीय महिलाएँ घास काटने जंगलों में जाती हैं वहां भी लोकगीत गाये या गुनगुनाए जाते हैं। कुछ लोक गीतों का विवरण इस प्रकार हैः-
मांगलः- यह गीत शभ कार्यों एंव शादी विवाह के मौकपर गाये जाते हैं।

जागरः- जागर देवताओं के गीत है जैसे- विनसर, नागर्जा, नरसिंह, भैरों, ऐड़ी, आछरी, जीतू, लाटू, भगवती, चण्डिका, गालू देवता आदी।

पंडोवः - पंडोव गढ़वाली लोक साहित्य के मौलिक महाकाव्य तथा खण्ड काव्य है। इन गीतों में ठाकुरी राजाओं के वीर गाथाओं को गाया जाता है। जैसे तीलूरोतेली, जोतरमाला, पत्थरमाला, नौरंगी, राजुला, राजा, जिते सिंह आदी।

चौफुलाः - यह नृत्य चांदनी रात में गोल दायरे में घूमकर पुरूष तथा महिलाएं मिलकर गाते हैं। इसमें प्रकृति तथा उत्सवों के गीत गाये जाते हैं। यह नृत्य काफी कुछ गुजरात के “ गरबा ” नृत्य से मिलता है।

खुदेड़ गीतः - करूणात्मक शैली के गीत “खुदेड़” हैं। यह गीत माँ-बाप, भाई-बहन, सखी, वन, पशु-पक्षी, नदी, फल-फलों की स्मृति ताजा कराते है और इनकी याद आ जाने पर सबसे मिलने की चाह पैदा हो जाती है तथा न मिल पाने की स्थिति में ये गीत मुखार बिन्दु पर फूट पड़ते हैं।

चौमासाः - वर्षा ऋतु में हिमालय की गोद में बसे उत्तराखण्ड का सौंदर्य निराला होता है। इस ऋतु के दिनों में अक्सर परदेश में गये साथी की ज्यादा याद सताती है तब यह गीत अपने आप मुखार बिन्दु पर फूट पड़ते हैं।

थड़याँ : - यह नृत्य बसंत पंचमी से लेकर विषुवत सक्रान्ति तक नेक सामाजिक व देवताओं के नृत्य गीतों के साथ खुले मैदान में गोलाकार होकर स्त्रियों द्वारा किया जाता है।


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